आज देखते हैं कौन सी कलम चलती है ,
आज देखते हैं कौन सी कलम चलती है ,
लगता है हर रंग की कलम का हर शब्द कला सा पड़ गया है ,
आज ऐसे चेहरे की कहानी लिखने चली है ये कलम ,
जो छोटे शहरों के लोगों के बड़े सपनों की कहानी की बानगी था,
शुशांत नाम था उसका ,
बहोत अछे से जीवन के हर पड़ाव पे हर किरदार को उसने बहोत अछे से निभाया था ,
एक अच्छा बेटा, अच्छा क्षात्र, अच्छा नागरिक ,अच्छा भाई ,बहोत उम्दा ,बहोत अच्छा अभिनेता था ,
इतना अच्छा की उसके जैसा कोई हो ही नही सकता ,
वो तो तारों ,नक्षत्रों और आकाशगंगाओं को हर रोज निहारता था ,
वो उन जैसा तो अल्पज्ञानी तो कत्तई न था ,जो सिर्फ पैसों के लिए अपनी बेवकूफी भरी फिल्मों में कुछ भी दिखाते हैं ,
अश्लीलता ,फूहड़ता ,गली गलौज और त्रिकोदीय प्रेम कहानी के अलावा कुछ नही ,
सुशांत तो अपने हर किरदार में जान दाल देता था , पैसो से अधिक अपने काम और किरदार से प्यार करता था ,
कभी क्षत्रों कभी आम लोगों को अपनी फिल्मों में जीने की राह सिखाता था ,
उसकी सख्सियश ,उसकी परवरिश उसके संस्कारों की बानगी थी ,
बालीवुड के हुक्मरानों को उसकी सफलता देखी न गई ,उन्होंने साजिशें रचीं की कैसे उसे हराया जाये ,
कैसे उसे तोड़ दिया जाये ,कैसे उसको अवसादग्रस्त कर दिया जाये ,और हुआ भी वही ,
क्योंकि वो सच्चा था ,दिल से भी ,दिमाग से भी ,वो उस बॉलीवुड माफिया के गंग के चमचों जैसा शातिर कहाँ था ,
और हाँ उसने संघर्ष करते रहने की कसमें खाई थी ,कसम खाई थी अपनी प्रतिभा को चमकाने की ,
देश को अपनी फिल्मों के माध्यम से सही मार्ग दिखाने की ,
पर अछे लोगों को अच्छाईकी कीमत चुकानी ही पड़ती है ,हर जगह ,हर क्षेत्र में और हुआ भी यही ,
किसे पता था कि,सुशांत जैसा होनहार ,हंसमुख ,जिंदादिल इंसान कपटी लोगों के सजेशों में इस कदर फंसेगा कि,
सुशांत जैसा चमकता सितारा दर्शकों के दिलों की धड़कन बन जाए वो सबसे आगे निकल जाये ,
आगे निकल भी जाता महाकाल का भक्त था बालीवुड के खोखले नामों वाले झूठे अभिनेताओं की तरह बिका हुआ नही था ,
उसने जितना भी दुनिया को दिया बेहतर दिया ,भरोसे लायक दिया ,अब भरोसा दिलाने की बारी आप सबकी है
भरोसा दिलाइये देश को हिन्दुस्तान को की हम सब मिलकर सुशांत को न्याय दिलवाएंगे ,
सुशांत के हत्यारों को शूली पर चढ़वाएंगे ,अगर ऐसा नही हुआ तो तय है की न जाने कितने छोटे शहर के सुशांतों के सपने मार दिए जायेंगे सुशांत की कहानी बार बार उनको सुने जायेगी ,
उन्हें डराया जायेगा की मुंबई बालीवूड में छोटे शहर के लोगों पढ़े लिखे समझदार लोगों का हश्र कुछ ऐसा ही होता है ,
तुम तो लाइन में लगो यूँही परीक्षा के पचाशों फॉर्म भरो जो की तुम्हारी मंजील भी नही और ऐसे ही घुट घुट के मर जाओ डर के माहौल से डरी हुई सीमित रेखाओं में बंधे रहकर ,
क्योंकि तुम छोटे शाहर से हो मध्यमवर्गीय परिवार से हो तुम्हे सफलता के सिखर पे रहने का कोई हक नही
,नही तो तो तुम भी सुशांत की तरह रहस्यमयी मौत मार दिए जाओगे और बाकी लोग तुन्हें अवसादग्रस्त
जीवन से निराश मानेंगे और तुम्हारी कहानी को काले पन्नों पे लिखने लग जायेंगे ,
काले पन्नों में लिखने लग जायेंगे I द्वारा – (स्मृति स्नेहा)
RIP-सुशांत